Aaj mera dost mujhse rutha hai

आज मेरा दोस्त मुझसे रूठा है
मेरे सब्र का बाँध भी अब टूटा है
वो मुझे मिला ही कब था इस जमाने में
जो मैं ये सोंचता हूँ की वो मुझसे छूटा है

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