Ab hume kabhi tera didar nashib na hoga

अब हमे कभी तेरा दीदार नसीब ना होगा,
दोसती का रिशता कभी करीब ना होगा,
करोध मे पैदा की हमने जो गलतफहमियां,
शायद हमसे बडा कोई बदनसीब ना होगा..

No comments:

Post a Comment