उसकी जफ़ाओं ने मुझे एक तहज़ीब सीखा दी है "आदी"...
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर शिकवा नहीं करता..
मोहब्बत में हर चीज़ कबूल थी तेरी यारा,
बस तेरे मोहब्बत का बंटवारा, हमसे देखा न गया...
कुछ इस तरह मजाक बनाया उन्होंने हमारा प्यार का,
की हम न जी सके , और ना मर सके ...
ऐ चाँद ,
खबरदार !!
जो आज निकलने मैं देरी की !!
भूखे रहने की आदत नहीं मेरे चाँद की...!!
ऐ इश्क़ कुछ तो रहम कर,
तुझे बरसो से पाल रहा हूँ...
ये तुमने मुझसे कैसा राब्ता रखा,
न करीब आये और न फासला रखा..
हर एक पाँव मुझे रौंदते हुए गुज़रे ,
ना जाने कौन सी मंजिल का रास्ता हूँ मैं..
खुदा करे सलामत रहें दोनों हमेशा,
एक तुम और दूसरा मुस्कुराना तुम्हारा..
"इश्क़" का बँटवारा, रज़ामन्दी से हुआ,
चमक उन्होंने बँटोरी, तड़प हम ले आये...
न दर्द हुआ सीने में, न माथे पर शिकन आई,
इस बार जब दिल टूटा, तो बस मुस्कान आई..
तेरे जुल्म की इंतहा मालूम है हमें फिर भी
हसरतों का कारवां है कि थमता ही नहीं...
कितनी मासुम है दिल की ख्वाहिश.......
इश्क भी करना चाहता है और खुश भी रहना चाहता है....
अगर है गहरयी तो चल डुबा दे मुझ को,
समंदर नाकाम रहा अब तेरी आँखो की बारी है…
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर शिकवा नहीं करता..
मोहब्बत में हर चीज़ कबूल थी तेरी यारा,
बस तेरे मोहब्बत का बंटवारा, हमसे देखा न गया...
कुछ इस तरह मजाक बनाया उन्होंने हमारा प्यार का,
की हम न जी सके , और ना मर सके ...
ऐ चाँद ,
खबरदार !!
जो आज निकलने मैं देरी की !!
भूखे रहने की आदत नहीं मेरे चाँद की...!!
ऐ इश्क़ कुछ तो रहम कर,
तुझे बरसो से पाल रहा हूँ...
ये तुमने मुझसे कैसा राब्ता रखा,
न करीब आये और न फासला रखा..
हर एक पाँव मुझे रौंदते हुए गुज़रे ,
ना जाने कौन सी मंजिल का रास्ता हूँ मैं..
खुदा करे सलामत रहें दोनों हमेशा,
एक तुम और दूसरा मुस्कुराना तुम्हारा..
"इश्क़" का बँटवारा, रज़ामन्दी से हुआ,
चमक उन्होंने बँटोरी, तड़प हम ले आये...
न दर्द हुआ सीने में, न माथे पर शिकन आई,
इस बार जब दिल टूटा, तो बस मुस्कान आई..
तेरे जुल्म की इंतहा मालूम है हमें फिर भी
हसरतों का कारवां है कि थमता ही नहीं...
कितनी मासुम है दिल की ख्वाहिश.......
इश्क भी करना चाहता है और खुश भी रहना चाहता है....
अगर है गहरयी तो चल डुबा दे मुझ को,
समंदर नाकाम रहा अब तेरी आँखो की बारी है…
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