कितनी उम्मीदों से ये हमारे भविष्य को सजाते हैं,
उतनी ही बेरहमी से ये ठुकराए जाते हैं…..
उतनी ही बेरहमी से ये ठुकराए जाते हैं…..
औलादों की खातिर करते है मेहनत हर पल,
फिर औलाद ही छोड़ देती है भटकने को दर-दर….
फिर औलाद ही छोड़ देती है भटकने को दर-दर….
पालते है औलाद को मान के अपनी जान,
उसी औलाद की घटने लगती है इनसे शान….
उसी औलाद की घटने लगती है इनसे शान….
विनती है उन औलादों से ना करो इनका अपमान,
ये गर्व है तुम्हारा,बस तुम ही हो इनका संसार……
ये गर्व है तुम्हारा,बस तुम ही हो इनका संसार……
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