मुझे खामोश देखकर इतना हैरान कयोँ होते हो....
कुछ नहीँ हुआ है बस भरोसा करके धोखा खाया है.....
यूँ तो मुद्दे और मसले बहुत हैं लिखने को मगर,
कमबख्त उँगलियों को तेरा ही ज़िक्र अज़ीज़ है...!!!
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा,तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते..!
हर "अहसास "लफ्जो से कहना मुमकीन नही, इसलिए खुदा ने आखें बनायी है..
एक वो हैं जो हमारे जज़्बात नहीं समझते,
और यहाँ ज़माना हमारे शेर पढ़कर दीवाना हुआ जा
रहा है...
कुछ नहीँ हुआ है बस भरोसा करके धोखा खाया है.....
यूँ तो मुद्दे और मसले बहुत हैं लिखने को मगर,
कमबख्त उँगलियों को तेरा ही ज़िक्र अज़ीज़ है...!!!
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा,तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते..!
हर "अहसास "लफ्जो से कहना मुमकीन नही, इसलिए खुदा ने आखें बनायी है..
एक वो हैं जो हमारे जज़्बात नहीं समझते,
और यहाँ ज़माना हमारे शेर पढ़कर दीवाना हुआ जा
रहा है...
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