Duao ki aarh mai panah liye huey

दुआओं की आड़ में पनाह लिए हुए,
एक उम्र गुजरी है मेरी आह लिए हुए,
मैं दुनिया खरीदने निकला था एक ज़माने पहले,
मैं लौटा हूँ ज़माने भर के गुनाह लिए हुए |

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