थाम कर बैठे हो जिसे गर्दिश-ए-वक़्त में वो हाथ छोड़ दोगे
तेरी चूड़ी के शीशे से भी नाज़ुक है मेरा दिल यूँ ही खेल खेल में तोड़ दोगे..
एक दूसरे को उसी में देख लेंगे
तेरे शहर का चाँद मेरे शहर में भी निकलता है..
दुनिया बदलनी है तो घर से निकलना होगा
कहीं पहुँचने के लिए कहीं से तो चलना होगा..
वक्त तू कितना भी सता ले मुझे
लेकिन याद रख किसी मोड़ पे तुझे भी बदलने मे मजबूर कर दूगा..
बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पायी,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह..
मोहब्बत कर सकते हो तो रब से करो….ऐ दोस्त
मिट्टी के खिलौनो से कभी वफा नही मिलती..
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो
ये ओर बात है कि…..किस्मत दग़ा कर गयी..
इस शक की वजह से ना जाने कितने रिश्ते टूटे
कभी ज़िन्दगी हमसे रूठी, कभी हम ज़िन्दगी से रूठे..
इस अजनबी दुनिया मैं किसी से दिल न लगाना
सुना है बिन बुलाये आने वाले बिन बताये ही चले जाते है..
तेरी चूड़ी के शीशे से भी नाज़ुक है मेरा दिल यूँ ही खेल खेल में तोड़ दोगे..
एक दूसरे को उसी में देख लेंगे
तेरे शहर का चाँद मेरे शहर में भी निकलता है..
दुनिया बदलनी है तो घर से निकलना होगा
कहीं पहुँचने के लिए कहीं से तो चलना होगा..
वक्त तू कितना भी सता ले मुझे
लेकिन याद रख किसी मोड़ पे तुझे भी बदलने मे मजबूर कर दूगा..
बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पायी,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह..
मोहब्बत कर सकते हो तो रब से करो….ऐ दोस्त
मिट्टी के खिलौनो से कभी वफा नही मिलती..
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो
ये ओर बात है कि…..किस्मत दग़ा कर गयी..
इस शक की वजह से ना जाने कितने रिश्ते टूटे
कभी ज़िन्दगी हमसे रूठी, कभी हम ज़िन्दगी से रूठे..
इस अजनबी दुनिया मैं किसी से दिल न लगाना
सुना है बिन बुलाये आने वाले बिन बताये ही चले जाते है..
No comments:
Post a Comment